पुणे

मराठा आरक्षण शांति रैली में पुणेकर का समर्थन

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मनोज जारंगे पाटिल के नेतृत्व में बड़ी संख्या में जुटे लोग

शहर के कई हिस्से यातायात प्रभावित

 

पुणे.मराठा आरक्षण की मांग को लेकर महाराष्ट्र में राजनीतिक और सामाजिक हलचलें तेज होती जा रही हैं। इसी कड़ी में रविवार को पुणे की सड़कों पर मराठा समुदाय के हजारों लोग एकत्रित हुए और शांति मार्च निकाला। इस रैली का नेतृत्व मराठा नेता मनोज जारंगे पाटिल की अगुवाई में निकली गई.मराठा समाज ने अपनी आरक्षण की मांग को एक बार फिर से पूरे पर है.

रैली का मार्ग और शहर पर प्रभाव:

शांति रैली की शुरुआत पुणे के प्रसिद्ध सारस बाग से हुई और यह पुरम चौक, बाजीराव रोड, शनिपार, सेवा सदन चौक, आप्पा बलवंत चौक, फुटका बुरुज, गाडगील पुतला, शिवाजीपुल, छत्रपती शिवाजी महाराज पुतला, एसएसपीएमएस, स. गो. बर्वे चौक, जंगली महाराज रोड, झांसी की रानी चौक, नटराज चौक और गरवारे पुल होते हुए छत्रपति संभाजी पुतला तक पहुंची। इस रैली ने शहर के मुख्य मार्गों पर यातायात को प्रभावित किया, जिससे पुणे के दैनिक जीवन में असुविधा उत्पन्न हुई।

 

नेताओं का संबोधन और चेतावनी:

छत्रपति संभाजी पुतला पर पहुंचने के बाद, शांति मार्च को मनोज जारंगे पाटिल और अन्य मराठा नेताओं ने संबोधित किया। उन्होंने सरकार को कड़ी चेतावनी दी कि यदि मराठा आरक्षण का मुद्दा जल्द से जल्द सुलझाया नहीं गया तो यह आंदोलन और भी तीव्र हो सकता है। मनोज जारंगे पाटिल ने स्पष्ट किया कि भविष्य में आंदोलन के दौरान उत्पन्न होने वाली किसी भी समस्या की जिम्मेदारी केवल सरकार की होगी, न कि आंदोलनकारियों की।

मराठा समुदाय की आरक्षण की मांग वर्षों से चली आ रही है और इसे लेकर राज्य में कई बार प्रदर्शन हुए हैं। लेकिन अब यह आंदोलन एक निर्णायक मोड़ पर पहुंचता नजर आ रहा है। मनोज जारंगे पाटिल जैसे नेताओं का उदय और उनके नेतृत्व में इतनी बड़ी संख्या में लोगों का एकत्रित होना सरकार के लिए एक स्पष्ट संदेश है कि इस मुद्दे को अनदेखा नहीं किया जा सकता। हालांकि, यह भी महत्वपूर्ण है कि इस तरह के आंदोलनों में शांति और संयम बनाए रखा जाए, ताकि समाज के अन्य वर्गों को भी कोई असुविधा न हो और समस्या का समाधान शांतिपूर्ण तरीके से हो सके।

सरकार के लिए यह समय है कि वह मराठा समुदाय की मांगों को गंभीरता से ले और संवैधानिक और न्यायसंगत तरीके से समाधान की दिशा में कदम बढ़ाए। मराठा आरक्षण की मांग एक जटिल सामाजिक और राजनीतिक मुद्दा है, जिसे समाधान के लिए सभी पक्षों के साथ विचार-विमर्श और सहमति की आवश्यकता है।

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