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‘जीबीएस’ प्रकोप के बाद शुद्ध पेयजल पर सरकार सख्त! आखिरकार उठाया बड़ा कदम

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पुणे। राज्य में पुणे समेत कुछ इलाकों में दूषित जल आपूर्ति की समस्या के कारण डायरिया के मरीजों की संख्या बढ़ रही है। इसके चलते गुइलेन बैरे सिंड्रोम (जीबीएस) से प्रभावित मरीजों की संख्या में और इजाफा होने की आशंका जताई जा रही है। इस गंभीर स्थिति को देखते हुए, राज्य के जल आपूर्ति एवं स्वच्छता विभाग ने संबंधित एजेंसियों को नागरिकों को शुद्ध पेयजल उपलब्ध कराने के निर्देश जारी किए हैं।

जीबीएस के बढ़ते मामलों और दूषित पानी की समस्या के कारण राज्य सरकार ने विशेष कदम उठाए हैं। मुख्य सचिव ने पुणे क्षेत्र में जीबीएस प्रभावित इलाकों में शुद्ध पेयजल आपूर्ति सुनिश्चित करने के निर्देश दिए थे। इसके बाद अब जल आपूर्ति विभाग ने राज्यभर में शुद्ध जल आपूर्ति को लेकर परिपत्र जारी किया है। इसके अलावा, राज्य जल एवं स्वच्छता मिशन कार्यालय को भी मासिक रिपोर्ट राज्य सरकार को सौंपने के आदेश दिए गए हैं।

शुद्ध जल आपूर्ति के लिए सरकार के निर्देश

प्रत्येक ग्रामीण परिवार को घरेलू नल कनेक्शन के माध्यम से प्रति व्यक्ति प्रतिदिन कम से कम 55 लीटर शुद्ध पानी उपलब्ध कराना अनिवार्य होगा।

जल जीवन मिशन के तहत ग्रामीण इलाकों में गुणवत्तापूर्ण पेयजल उपलब्ध कराने का लक्ष्य तय किया गया है।

राज्यभर में जल गुणवत्ता नियंत्रण और सर्वेक्षण कार्यक्रम चलाया जाएगा।

इस कार्यक्रम के तहत प्रयोगशालाओं में जल स्रोतों की साल में एक बार रासायनिक और दो बार जैविक जांच कराई जाएगी।

दूषित पानी के नमूने मिलने पर ग्राम स्तर पर त्वरित सुधारात्मक कदम उठाए जाएंगे और पुन: जांच के लिए नमूने प्रयोगशाला भेजे जाएंगे।

जब तक पानी की गुणवत्ता की रिपोर्ट संतोषजनक नहीं आती, तब तक आवश्यक सुधार कार्य किए जाएंगे।

लापरवाही पर होगी सख्त कार्रवाई

जीबीएस के प्रकोप को रोकने के लिए पंचायत विभाग, स्वास्थ्य विभाग, शिक्षा विभाग और जल आपूर्ति विभाग को समन्वय बनाकर निर्देशों को लागू करना होगा। जल को शुद्ध करके ही आपूर्ति की जानी चाहिए। यदि इसमें किसी भी स्तर पर लापरवाही या अनियमितता पाई गई, तो संबंधित अधिकारियों और कर्मचारियों के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई की जाएगी।

शुद्ध जल आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिए उठाए गए कदम

प्रति व्यक्ति प्रतिदिन 55 लीटर शुद्ध जल की आपूर्ति।
साल में एक बार रासायनिक जांच और दो बार जैविक जांच अनिवार्य।
हर ग्राम पंचायत में जैविक क्षेत्रीय जांच किट स्थापित की जाए।
प्रशिक्षित स्वयंसेवकों द्वारा जल स्रोतों की नियमित जांच।
भूजल सर्वेक्षण एवं विकास एजेंसी की प्रयोगशालाओं से भी पानी की गुणवत्ता जांच।

राज्य सरकार की इन सख्त व्यवस्थाओं का उद्देश्य नागरिकों को शुद्ध पेयजल उपलब्ध कराना और जीबीएस जैसे खतरनाक रोगों की रोकथाम करना है।

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