शहर के विकास के लिए दृष्टिकोण आवश्यक: अजित पवार

पुणे। “राजनीति से ज्यादा शहर के विकास के लिए दृष्टिकोण महत्वपूर्ण है। शहर की धरोहर को संजोना और संरक्षित करना बेहद जरूरी है। इमारतों में प्राकृतिक वेंटिलेशन होना चाहिए। पुणे जैसे शहर में सर्दी और बरसात को छोड़कर केवल गर्मी के मौसम में ही एयर कंडीशनर की जरूरत होती है। ऐसे में वास्तुकला के छात्रों को ऐसी इमारतों का निर्माण करना चाहिए, जो शहर की सुंदरता में स्थायी रूप से योगदान दें,” यह कहना है महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री और पुणे जिले के पालकमंत्री अजित पवार का।
अजित पवार बालगंधर्व रंगमंदिर में “अकादमिक एक्सप्लोरेशन्स” नामक वास्तुकला प्रदर्शनी का अवलोकन करने पहुंचे थे। इस दौरान पिंपरी-चिंचवड़ महानगरपालिका के आयुक्त शेखर सिंह और सार्वजनिक निर्माण विभाग के मुख्य अभियंता अतुल चव्हाण भी उपस्थित थे।
वसंतदादा पाटील की दृष्टि को सराहा
इस अवसर पर अजित पवार ने कहा, “राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री स्वर्गीय वसंतदादा पाटील ने उच्च शिक्षा, विशेष रूप से पॉलिटेक्निक और इंजीनियरिंग के क्षेत्र में अभूतपूर्व सुविधाएं प्रदान कीं। उन्होंने शिक्षा में भले ही कम हासिल किया हो, लेकिन उनकी दृष्टि दूरगामी और प्रेरणादायक थी।” पवार ने बताया कि सरकारी स्तर पर पुणे में स्कूली शिक्षा, कृषि, श्रम, सहकारिता, सामाजिक न्याय आदि विभागों की इमारतें बनाई जा रही हैं। ये सभी इमारतें कलात्मक और आकर्षक बनेंगी।
उन्होंने सुझाव दिया कि पुणे की ऐतिहासिक धरोहर को प्रदर्शित करने के लिए मेट्रो स्टेशनों में इनके मॉडल्स लगाए जाने चाहिए, ताकि लोगों को अपने शहर के इतिहास की जानकारी मिल सके।
छात्रों को नवाचार पर जोर देने की सलाह
पिंपरी-चिंचवड़ महानगरपालिका के आयुक्त शेखर सिंह ने कहा, “छात्रों को अपने वरिष्ठों द्वारा निर्मित संरचनाओं की नकल करने के बजाय अपनी कल्पनाशीलता और बुद्धिमत्ता का उपयोग करके सुंदर और पर्यावरण-अनुकूल इमारतों का निर्माण करना चाहिए।”
कार्यक्रम का भव्य आयोजन
कार्यक्रम की शुरुआत में संस्था के अध्यक्ष एडवोकेट अभय छाजेड़, उपाध्यक्ष इंद्रकुमार छाजेड़ और वरिष्ठ सलाहकार आर्किटेक्ट विकास भंडारी ने अतिथियों का स्वागत किया। इस दौरान महाविद्यालय के “कीस्टोन” नामक वार्षिक पत्रिका का विमोचन किया गया। निर्देशक प्रसन्न देसाई ने अतिथियों को “पुणे – द क्वीन ऑफ डेक्कन” पुस्तक भेंट की। कार्यक्रम का संचालन शैक्षणिक समन्वयक शेखर गरुड़ ने किया और अंत में प्रसन्न देसाई ने आभार व्यक्त किया।
इस अवसर पर विजयकांत कोठारी, युवराज शाह सहित कई आर्किटेक्ट्स, प्राध्यापक, शिक्षक और बड़ी संख्या में छात्र मौजूद थे।