
पुणे. कुछ कार्यक्रम बहुत ही हृदयस्पर्शी और जीवन बदल देने वाले होते हैं और इसमें मुझे शामिल होने का अवसर मिला है . “विशेष बच्चों” के लिए आयोजित यह कार्यक्रम सहरानीय है, यह विचार क्रिएटिव फाउंडेशन के अध्यक्ष संदीप खर्डेकर ने व्यक्त की.
काल उमेद फाउंडेशन द्वारा “विशेष बच्चों” के लिए विभिन्न कला प्रदर्शनियों का कार्यक्रम आयोजित किया गया था. इस अवसर पर अध्यक्ष संदीप खर्डेकर विशेष अतिथि के रूप में बोल रहे थे, उन्होंने कहा, मासूमियत के साथ अपने तरीके से खुद को अभिव्यक्त करने वाले ये बच्चे सच में “भगवान के फूल” हैं. इन्हें सहानुभूति नहीं, सहारा चाहिए। सामान्य लोगों की तरह जीने का अधिकार है. उनके पंखों को मजबूत करने के लिए काम कर रहे तरुण युवा स्वयंसेवक के राकेश सणस, प्रतिभाताई केंजाले, सीमाताई दबके, जयंतराव पारखी, दीपक सोनावणे, लीनाताई देवरे और उनकी टीम को सलाम जो विकलांग बच्चों के जीवन को सहने योग्य बनाने के लिए लंबे समय से इस क्षेत्र में काम कर रहे हैं. इन बच्चों में कई जन्मजात प्रतिभा हैं. उनकी दुनिया स्वार्थी, लालची, सत्ता के भूखे लोगों की तुलना में अधिक स्वच्छ व साफ है. अगर हम इन बच्चों के लिए कुछ कर सकें तो उसे एक अच्छा काम माना जाना चाहिए, इन बच्चो के के काम करना पुण्य का काम है.
साथ ही उन्होंने कहा आज महाप्रसाद को “इवेंट” बनाने का समय है, सिर्फ वही खिलाए जाते हैं जिनका पेट भर गया हो, इसमें कोई भावना या अहसास नहीं होता. अच्छा हो जब युवा पीढ़ी नागरिकों को सदस्यता के लिए परेशान करने और उन्हें खाने पर मजबूर करने के बजाय बेहतर सामाजिक मुद्दों की ओर रुख करे।