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सरकारी विज्ञापनों पर करोड़ों का खर्च, लेकिन सम्मेलन अध्यक्ष को ही भुला दिया…!

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पुणे । मराठी भाषा को अभिजात भाषा का दर्जा मिलने की पृष्ठभूमि में, मायमराठी की गूंज देश की राजधानी में सुनाई देने के लिए “98वां अखिल भारतीय मराठी साहित्य सम्मेलन” आज (अंतर्राष्ट्रीय मातृभाषा दिवस) से दिल्ली में शुरू हुआ है। यह हर मराठी व्यक्ति के लिए गर्व की बात है।

हालांकि सम्मेलन दिल्ली में हो रहा है, लेकिन महाराष्ट्र सरकार ने इस अखिल भारतीय मराठी साहित्य सम्मेलन के विज्ञापनों पर सरकारी खजाने से करोड़ों रुपये खर्च किए हैं। लेकिन इन विज्ञापनों से सम्मेलन अध्यक्ष, वरिष्ठ महिला साहित्यकार और लेखिका श्रीमती तारा भवाळकर का न तो चित्र है और न ही नामोल्लेख! यह बेहद चौंकाने वाली बात है। कांग्रेस के राज्य प्रवक्ता गोपालदादा तिवारी ने इसे भाजपा के नेतृत्व वाली महायुति सरकार की महिलाओं के प्रति मानसिकता का स्पष्ट प्रमाण बताया और इस कृत्य की कड़ी निंदा की।

उन्होंने कहा कि साहित्यिकों के इस सम्मेलन के विज्ञापनों से सम्मेलन अध्यक्ष और स्वागत अध्यक्ष को हटाना मराठी साहित्य और संस्कृति का अपमान है।

इतिहास में भी हुआ था दिल्ली में सम्मेलन

जब पंडित नेहरू प्रधानमंत्री थे, तब भी दिल्ली में अखिल भारतीय मराठी साहित्य सम्मेलन हुआ था, और उस समय स्वागत अध्यक्ष पुणे का प्रतिनिधित्व करने वाले तत्कालीन केंद्रीय मंत्री काका साहेब गाडगील थे।

इस बार, पुणे की सरहद संस्था की पहल पर दिल्ली में यह सम्मेलन हो रहा है। ऐसे में सरहद संस्था के संजय नाहर, साहित्य सम्मेलन की छठी महिला अध्यक्ष श्रीमती तारा भवाळकर, स्वागत अध्यक्ष शरद पवार, और मराठी भाषा को अभिजात भाषा का दर्जा दिलाने के लिए 2014 में केंद्र सरकार को प्रस्ताव भेजने वाले तत्कालीन मुख्यमंत्री पृथ्वीराज चव्हाण का उल्लेख किया जाता तो यह महाराष्ट्र की संस्कृति और मराठी भाषा के गौरव के अनुरूप होता।

सरकारी विज्ञापनों में सिर्फ भाजपा नेताओं के फोटो!

कांग्रेस प्रवक्ता गोपालदादा तिवारी ने फडणवीस सरकार की आलोचना करते हुए कहा कि इस ऐतिहासिक सम्मेलन के विज्ञापनों पर बेतहाशा खर्च किया गया है, लेकिन इन विज्ञापनों में केवल उद्घाटनकर्ता प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस, उपमुख्यमंत्री अजीत पवार, मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे और मराठी भाषा मंत्री उदय सामंत के ही चित्र हैं।

विज्ञापनों में साहित्य सम्मेलन से जुड़े व्यक्तियों के नाम का जिक्र न करना और केवल भाजपा नेताओं की तस्वीरें प्रकाशित करना निंदनीय है। अगर इसमें राज्य में हुए पिछले साहित्य सम्मेलनों की जानकारी दी जाती, तो यह जनता के लिए अधिक उपयोगी होता।

कांग्रेस ने महाराष्ट्र सरकार की इस उपेक्षा पर कड़ा विरोध दर्ज कराया है और कहा कि मराठी भाषा को अभिजात भाषा का दर्जा मिलने के बाद, जब राजधानी दिल्ली में मराठी साहित्य और संस्कृति का उत्सव मनाया जा रहा है, तब सम्मेलन अध्यक्ष डॉ. तारा भवाळकर और स्वागत अध्यक्ष शरद पवार का नाम तक न लेना महाराष्ट्र की परंपरा और साहित्य के प्रति असंवेदनशीलता को दर्शाता है।

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