
देहु. धन्य तुकोबा समर्थ, ज्ञानोबा तुकोबा जयकारे करते हुए फूलों से सजी पालकी में, तुकोबा के चांदी के चरण, मृदंग की घंटी, महिलाएं सिर पर कलश और तुलसी वृन्दावन लिए हजारों की उपस्थिति में देहू से भंडारा तक जगद्गुरु श्री संत तुकाराम महाराज दिंडी की भव्य शोभा यात्रा निकाली गई. जगद्गुरु संत श्रेष्ठ तुकाराम महाराज के सदेह वैकुंठ गमन के 375 वर्ष उपलक्ष्य में वारकरी बंधुओं द्वारा देहु में डिंडी समारोह का आयोजन किया गया है, इसका आयोजन 8 से 17 मार्च 2025 तक दस दिनों के लिए किया गया है. इसमें जगद्गुरु तुकोबारया के पंचमवेद गाथा भंडार के ज्ञान पर आध्यात्मिक विभिन्न धार्मिक कार्यंकर्मो का आयोजन किया गया है.
जगद्गुरु संत श्रेष्ठ तुकाराम महाराज के सदेह वैकुंठगमन के 375 वर्ष 16 मार्च यानी तुकाराम बीजे दिवस पर पूरे हो रहे हैं. इस अवसर पर जगद्गुरु श्री संत तुकाराम महाराज सदेह वैकुंठगमन त्रिस्तकोत्तर अमृतमहोत्सव मनाया जा रहा है. इस अवसर पर अखण्ड हरिनाम सप्ताह एवं संगीत गाथा पारायण सोहला का आयोजन किया गया है। श्री क्षेत्र आलंदी के वारकरी शिक्षा संस्थान के अध्यक्ष अध्वर्यु हभाप मारुतिबाबा कुरहेकर महाराज और वारकरी रत्न हभाप ज्ञानेश्वर माऊली कदम महाराज के नेतृत्व में 9 मार्च से 17 मार्च तक गाथा पारायण सोहाला का आयोजन किया गया है। यह समारोह भंडारा पहाड़ी की तलहटी में हो रहा है.
शनिवार 8 मार्च को दोपहर तीन बजे से शाम पांच बजे तक श्री क्षेत्र देहु से श्रीक्षेत्र भंडारा डोंगर तक भव्य दिंडी समारोह के साथ शुरू हुआ। देहू स्थित मंदिर में जगद्गुरु तुकोबाराय की पांच किलो चांदी की पादुकाओं की विधिवत पूजा की गई। फिर पादुकाओं को एक सजी हुई पालकी में रखा गया और थाला मृदंगा और ज्ञानोबा तुकाराम के नाम का जाप करते हुए मंदिर से बाहर लाया गया। पालकी के आगे दो सफेद घोड़े थे। मंदिर के बाहर महिलाएं सिर पर कलश और तुलसी वृन्दावन लेकर खड़ी थीं। रथ के आगे महेंद्रशेठ बालकृष्ण झिंजुर्डे (2023 देहु ते पंढरपुर पालकी के मनकारी) बैलों की एक बहुत ही सुंदर जोड़ी थी। इस अवसर पर पालखी के साथ पूर्व विधायक विलास लांडे भी मौजूद थे. सांसद श्रीरंग अप्पा बारणे ने भी पालकी में जाकर दर्शन किये. इस मौके पर भंडारा डोंगर मंदिर समिति के अध्यक्ष बालासाहेब काशिद, ज्ञानेश्वर माऊली कदम (छोटे मौली), देहु संस्थान के अध्यक्ष और ट्रस्टी पुरूषोत्तम महाराज मोरे, महोत्सव समिति के अध्यक्ष निवृत्ति आबा कोलेकर, अप्पासाहेब बागल, कालूराम मालपोटे, जोपाशेत पवार, जगन्नाथ नाटक आदि सहित जिला और अन्य जिला के वारकरी संप्रदाय भरी संख्या में उपस्थित थे.