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पुरंदर अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे के लिए 2832 हेक्टेयर भूमि अधिग्रहित, लेकिन बजट में प्रावधान नहीं

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पुणे: प्रस्तावित पुरंदर अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे के लिए 2,832 हेक्टेयर भूमि को औद्योगिक क्षेत्र के रूप में घोषित किया गया है। इस संबंध में राज्य सरकार के उद्योग विभाग ने अधिसूचना जारी की है। हालांकि, राज्य के बजट में इस परियोजना के लिए कोई वित्तीय प्रावधान नहीं किया गया, जिससे भूमि अधिग्रहण की प्रक्रिया को लेकर असमंजस की स्थिति उत्पन्न हो गई है।

इस परियोजना के तहत, हवाई अड्डे के साथ ‘मल्टी-मॉडल हब’ विकसित किया जाएगा। इस वजह से, पहले इस परियोजना की जिम्मेदारी महाराष्ट्र विमानतळ विकास प्राधिकरण (MADC) के पास थी, लेकिन अब इसे महाराष्ट्र औद्योगिक विकास महामंडल (MIDC) को सौंपा गया है। एमएडीसी द्वारा जारी की गई पिछली अधिसूचना को रद्द कर दिया गया है और नए सिरे से बागायती, जिरायती भूमि, प्राकृतिक संसाधन, पेड़-पौधे, कुएं, नाले, सड़कें, गांव और घरों का सर्वेक्षण करने के बाद यह भूमि अधिग्रहण का निर्णय लिया गया है।

बजट में नहीं मिला वित्तीय प्रावधान, उठ रहे सवाल

विशेष बात यह है कि राज्य सरकार के बजट के दिन ही उद्योग विभाग के सहसचिव डॉ. श्री. ल. पुलकुंडवार ने यह अधिसूचना जारी की, लेकिन विमानतल के लिए कोई वित्तीय प्रावधान नहीं किया गया। इससे परियोजना को लेकर अनिश्चितता बढ़ गई है।

स्थानीय विधायक विजय शिवतारे ने इस पर नाराजगी जाहिर करते हुए कहा कि वह मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस, उपमुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे और अजित पवार से मुलाकात कर इस मुद्दे पर चर्चा करेंगे। उन्होंने कहा,
“महाराष्ट्र में नागपुर से रत्नागिरी तक सभी हवाई अड्डों के कार्य पूरे हो चुके हैं। पुरंदर हवाई अड्डे को विकसित करना अत्यंत आवश्यक है। इस मुद्दे को आगामी विधानसभा सत्र में उठाया जाएगा।”

स्थानीयों का विरोध, संयुक्त ग्रामसभा में होगा फैसला

वहीं, दूसरी ओर भूसंपादन से प्रभावित सात गांवों के निवासियों ने भूमि अधिग्रहण का विरोध किया है। उन्होंने घोषणा की है कि आगामी दो दिनों में संयुक्त ग्रामसभा आयोजित कर आगे की रणनीति तय की जाएगी।

अब देखना यह होगा कि सरकार इस परियोजना को लेकर आगे क्या निर्णय लेती है और स्थानीय लोगों का विरोध कितना असर डालता है।

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