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चातुर्मास के उपलक्ष मेंश्री जैन श्वेतांबर दादावाड़ी टेंपल ट्रस्ट में प्रवजन

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हर रोज धार्मिक एवं सामाजिक कार्यक्रम आयोजित

पुणे.श्री जैन श्वेतांबर दादावाड़ी टेंपल ट्रस्ट में विराजित परम पूज्य मुनिराज श्री लाभेश विजय जी महाराज साहब परम पूज्य मुनिराज श्री ललितेश वीर जी महाराज साहब ने  28 जुलाई रविवार को सुबह 9 बजे महामंगलकारी महा मांगलिक प्रारंभ भगवान के दीप प्रज्वलन एवं माल्यार्पण शुरुआत की ।पूज्य श्री ने अपने प्रवचन में कहा कि संसार में दो प्रकार के संबंध है एक संयोग संबंध एक वियोग संबंध ,हम सब लोग वियोग संबंध से ज्यादा जुड़े हुए हैं और संयोग संबंध से कम जुड़े हुए हैं संयोग संबंध ऐसा होता है कि जब एक बार जीवन में जुड़ जाता है तो वह अलग नहीं होता है ।वियोग संबंध जहां बार-बार पदार्थ और व्यक्ति से अलग होना पड़ता है। जो हमारा अपना है उसके साथ संबंध हो जाए वह संयोग संबंध है और जिस अलग होना पड़े वह वियोग संबंध है । भगवान महावीर ने केवल ज्ञान परमात्मा ने केवल ज्ञान को प्राप्त किया तो कहीं जंगल में नहीं पहाड़ों पर नहीं बल्कि भीतर जाकर के केवल ज्ञान को प्राप्त किया ।अंतर की इतनी गहराई के अंदर परमात्मा महावीर जा चुके थे जिससे उनको केवल ज्ञान की प्राप्ति हो गई ।हम लोगों को भी अपने जीवन के अंदर अप्पा सो परमअप्पा आत्मा ही परमात्मा है।भीतर ध्यान कर प्रवेश करना चाहिए ।ध्यान के माध्यम से मन एकाग्र होता है। चित्त की एकाग्रता बढ़ती है नेगेटिव ऊर्जा दूर होती है शुद्ध स्वरूप की प्राप्ति होती है और जो भीतर जो बीमारियां है वह भी ध्यान के माध्यम से ठीक होती है। मुनिश्री के प्रवचन के बाद आए हुए गुरु भक्तों को मुनिश्री ने ध्यान करवाया ।

जमुनिश्री के पश्चात श्रीमान स्वर्गीय अशोक कुमार जी शांतिलाल जी बागरेचा परिवार की ओर से महामंगलकारी महामंगलिक रखी गई। मुनिश्री ने प्राचीन स्तोत्र प्राचीन मन्त्रो का पढन किया और सभी को सुनाएं ,सभी लोग भाव विभोर हो गए उसके पश्चात जिन कुशल सूरी ,राजेंद्र सुरीस्वरजी महाराज साहब की लाभार्थी परिवार श्रीमान स्वर्गीय अशोक कुमार जी शांतिलाल जी बागरेचा परिवार की ओर से उतारी गई। नाकोड़ा भैरव जी की आरती श्री नरेश कुमार जी मोहनलाल जी चंदावत परिवार की ओर से उतारी गई ।आए हुए सभी अतिथियों का गौतम प्रसादी रखी गई थी एवं उन्हें प्रभाव न वितरित की गई।

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