
पुणे। पुणे महानगरपालिका ने अपने बजट में एक पुराने कचरे से बिजली उत्पादन परियोजना को नया और अनोखा प्रोजेक्ट बताकर पुणेकरों को चौंका दिया है। यह परियोजना पिछले सात वर्षों से लंबित है, लेकिन अब 2025-26 के बजट में इसे एक नवीन परियोजना के रूप में प्रस्तुत किया गया है।
रामटेकड़ी औद्योगिक क्षेत्र में कचरे से बिजली उत्पादन की इस परियोजना की शुरुआत 2012-13 में हुई थी। पहले यह प्रोजेक्ट देवाची उरुली कचरा डिपो में दो चरणों में 500 और 250 टन क्षमता के संयंत्र के रूप में प्रस्तावित था, लेकिन स्थानीय विरोध के कारण इसे रामटेकड़ी में 750 टन क्षमता के एकल संयंत्र के रूप में स्थानांतरित किया गया। हालांकि, परियोजना को लागू करने वाली कंपनी बिजली उत्पादन करने में विफल रही, जिससे इस पर कई सवाल उठे।
बिजली उत्पादन के बजाय, कंपनी ने केवल बॉयलर के लिए ईंधन तैयार करना शुरू किया, जिससे वहां हजारों टन कचरा जमा हो गया और वह स्थान एक नया कचरा डिपो बन गया। बाद में, तकनीकी कारणों से कंपनी ने इस परियोजना से हाथ खींच लिया। इसके बाद ‘पुणे बायो कंपनी’ ने इस परियोजना के लिए एक प्रस्ताव प्रस्तुत किया, जिसे स्थायी समिति और आम सभा में एक ही दिन में मंजूरी दे दी गई।
2019 में इस कंपनी को कार्य सौंपते समय शर्त रखी गई थी कि पहले वर्ष में यह केवल बॉयलर के लिए ईंधन तैयार करेगी और अगले वर्ष बिजली उत्पादन शुरू करेगी। पहले वर्ष में 300 टन कचरे पर प्रक्रिया करके ईंधन उत्पादन शुरू हुआ, लेकिन बिजली उत्पादन शुरू नहीं हो सका। 2020 और 2021 में कोरोना महामारी के कारण कार्य प्रभावित हुआ। इसके बाद, 2022 में राज्य विद्युत नियामक आयोग ने इस परियोजना को सैद्धांतिक मंजूरी दी और जनवरी 2024 में अंतिम स्वीकृति दी गई, लेकिन अब तक बिजली उत्पादन शुरू नहीं हुआ।
महानगरपालिका पिछले 12 वर्षों से कचरे से बिजली उत्पादन की कोशिश कर रही है, लेकिन अब तक कोई सफलता नहीं मिली है। इस परियोजना पर पहले ही करोड़ों रुपये खर्च हो चुके हैं, फिर भी इसे 2025-26 के बजट में दोबारा शामिल किया गया है और इसे देश की ‘एकमात्र’ ऐसी परियोजना बताया जा रहा है, जिसमें 350 मीट्रिक टन कचरे की प्रोसेसिंग होगी।
महानगरपालिका आयुक्त डॉ. राजेंद्र भोसले पिछले वर्ष ही इस पद पर नियुक्त हुए हैं। संभवतः उन्हें इस परियोजना के पुराने इतिहास की जानकारी नहीं है, जिसका लाभ उठाते हुए महानगरपालिका के ठोस कचरा प्रबंधन विभाग ने इसे नवीन परियोजना के रूप में प्रस्तुत कर दिया। अब नगर निगम में इस धोखाधड़ी की चर्चा हो रही है।
सजग नागरिक मंच के अध्यक्ष विवेक वेलणकर ने इस पर नाराजगी जताते हुए कहा, “कई वर्षों से महानगरपालिका कचरे से बिजली उत्पादन की कोशिश कर रही है और इस पर करोड़ों रुपये खर्च हो चुके हैं। ऐसे में इसे नवीन परियोजना के रूप में पेश करना गलत है। जब यह परियोजना पहले ही विफल हो चुकी है, तो इसे दोबारा लागू करने की जिद क्यों? महानगरपालिका आयुक्त को इस पूरे मामले की जांच करवानी चाहिए।”