“मराठी व्यक्ति विवादप्रिय, लेकिन…” – विश्व मराठी सम्मेलन में CM देवेंद्र फडणवीस का दिलचस्प भाषण

पुणे। महाराष्ट्र सरकार के मराठी भाषा विभाग द्वारा 31 जनवरी से 2 फरवरी तक पुणे में तृतीय विश्व मराठी सम्मेलन का आयोजन किया गया। इस सम्मेलन का उद्घाटन मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने किया। इस दौरान उन्होंने अपने मज़ेदार अंदाज़ में मराठी लोगों की खासियतों और विवादों को लेकर टिप्पणी की। कार्यक्रम में वरिष्ठ साहित्यकार मधु मंगेश कर्णिक का विशेष सम्मान किया गया।
“मराठी व्यक्ति विवादप्रिय होता है”
सम्मेलन के दौरान उठे विवादों पर बोलते हुए मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने कहा,
“चाहे साहित्य सम्मेलन हो, नाट्य सम्मेलन हो या फिर विश्व मराठी साहित्य सम्मेलन, अगर कोई विवाद न हो, तो वह सम्मेलन अधूरा लगता है। विवाद करना हमारी स्वाभाविक प्रवृत्ति है, क्योंकि हम संवेदनशील और भावनात्मक लोग हैं। इससे ही सच्चे अर्थों में मंथन होता है।”
उन्होंने आगे बताया कि मराठी लोगों की इस प्रवृत्ति का उल्लेख 8वीं शताब्दी के एक ग्रंथ में भी मिलता है, जिसमें लिखा है कि मराठी व्यक्ति विवादप्रिय होता है। फडणवीस ने हंसी-मजाक के अंदाज में कहा, “मराठी व्यक्ति को बहस करना पसंद होता है, लेकिन इसका मतलब यह नहीं कि हम सम्मेलन आयोजित करना बंद कर दें। इन्हीं सम्मेलनों से हमें आगे बढ़ने की शक्ति और नई सोच मिलती है।”
“मी पुन्हा येईन…” अब मेरा पीछा नहीं छोड़ता!
अपने भाषण के दौरान मुख्यमंत्री ने कहा कि मराठी लोग दुनिया के हर कोने में फैले हुए हैं। उन्होंने बताया कि जब वे दावोस गए थे, तब वहां मराठी लोगों ने उनका जोरदार स्वागत किया। इस दौरान एक छोटे बच्चे ने “लाभले आम्हास बोलतो मराठी…” यह गीत गाया और उसके अंत में कहा, “मी पुन्हा येईन…” (मैं फिर आऊंगा)।
फडणवीस ने मज़ाकिया लहजे में कहा, “अब यह वाक्य मेरा पीछा नहीं छोड़ता! पहले इसे व्यंग्य के रूप में कहा जाता था, लेकिन अब इसे अच्छे अर्थ में इस्तेमाल किया जा रहा है। जब कोई शब्द हमसे जुड़ जाता है, तो समय के साथ उसके मायने बदल जाते हैं। लेकिन इस विश्व मराठी सम्मेलन में आए सभी लोगों को यह संकल्प लेना चाहिए कि जब भी यह सम्मेलन आयोजित होगा, तब हम सब कहेंगे – मी पुन्हा येईन! (मैं फिर आऊंगा!)”
मराठी साहित्य को AI के ज़रिए संरक्षित करने की योजना
इस सम्मेलन में मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने मराठी भाषा को कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) से जोड़ने की योजना का संकल्प भी लिया। उन्होंने कहा कि यदि स्मॉल लैंग्वेज मॉडल में मराठी साहित्य को संग्रहीत किया जाए, तो आने वाली पीढ़ियों को इसे पढ़ने और समझने का अवसर मिलेगा।
उन्होंने कहा, “पहले वेबसाइट्स बनाई जाती थीं, लेकिन अब वेबसाइट्स का युग समाप्त हो रहा है और AI का युग शुरू हो चुका है। राज्य सरकार के मराठी भाषा विभाग को इस अभिनव योजना की शुरुआत करनी चाहिए।”
उल्लेखनीय है कि विश्व मराठी सम्मेलन में मुख्यमंत्री फडणवीस ने न सिर्फ मराठी भाषा और साहित्य के विकास की बात की, बल्कि अपनी खास शैली में मराठी लोगों की विवादप्रियता और उनकी वैश्विक उपस्थिति पर भी चर्चा की। उनके “मी पुन्हा येईन” (मैं फिर आऊंगा) वाले बयान ने पूरे सम्मेलन में एक मज़ेदार माहौल बना दिया।