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पिंपरी चिंचवड़ के कुदलवाड़ी में बुलडोजर का कहर जारी

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अब तक 1000 एकड़ से अधिक निर्माण ध्वस्त, हजारों परिवार बेघर, लाखों बेरोजगार

पुणे: पिंपरी चिंचवड़ के चिखली कुदलवाड़ी क्षेत्र में विगत 7 फरवरी 2025 से अब तक लगातार पिंपरी चिंचवड़ महानगरपालिका (PCMC) का बुलडोजर गरज रहा है। दो दर्जन से अधिक बुलडोजर और पोकलेन मशीनों के जरिए बड़े पैमाने पर तोड़फोड़ की जा रही है। अब तक अनुमानित 1000 एकड़ क्षेत्र में बने उद्योग, आवासीय इमारतें, पतराशेड और अन्य संरचनाएं ध्वस्त की जा चुकी हैं। इस कार्रवाई के कारण हजारों लोग बेघर हो गए हैं, जबकि लाखों लोगों का रोजगार छिन गया है।

सरकारी पक्ष:

महानगरपालिका का कहना है कि यह पूरा क्षेत्र अवैध था, और विधिवत नोटिस जारी करने के बाद यह अतिक्रमण हटाने की कार्रवाई की जा रही है। प्रशासन के अनुसार, इस इलाके में अनधिकृत रूप से बनाए गए कारखाने और आवासीय परिसर लंबे समय से नियमों का उल्लंघन कर रहे थे।

पीड़ितों का पक्ष:

वहीं, स्थानीय लोग इस कार्रवाई को अमानवीय बताते हुए इसे मानवाधिकारों का उल्लंघन करार दे रहे हैं। उनका कहना है कि कुदलवाड़ी क्षेत्र में कोई स्लम नहीं था, बल्कि लोगों ने वैध रूप से भूमि खरीदकर अपने घर और छोटे-मध्यम उद्योग स्थापित किए थे।

पिंपरी चिंचवड़ चेंबर ऑफ कॉमर्स के संस्थापक अध्यक्ष एड. अप्पासाहेब शिंदे ने बताया कि यह क्षेत्र पहले ग्राम पंचायत के अंतर्गत आता था, जहां स्थानीय निवासियों ने जमीन खरीदकर अपने घर और व्यवसाय स्थापित किए। 1997 में जब यह क्षेत्र पिंपरी चिंचवड़ महानगरपालिका में सम्मिलित हुआ, तब से मनपा यहां से टैक्स वसूल रही थी।

शिंदे ने बताया कि कुदलवाड़ी में हजारों छोटे-बड़े उद्योग चल रहे थे, जिनमें लाखों लोगों को रोजगार मिला हुआ था। अब ये सभी बेरोजगार हो गए हैं। इसके अलावा, उद्योगपतियों ने इन व्यवसायों के लिए बैंकों से भारी मात्रा में ऋण लिया था, जिसे अब चुकाना लगभग असंभव हो गया है। ऐसे में बैंकिंग प्रणाली पर भी हजारों करोड़ का आर्थिक बोझ पड़ने की संभावना है।

लखनऊ के ‘अकबरनगर मॉडल’ पर कार्रवाई?

स्थानीय निवासियों का आरोप है कि यह कार्रवाई उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के आदेशानुसार लखनऊ के अकबरनगर में की गई तोड़फोड़ की तर्ज पर हुई है। पीड़ितों का कहना है कि महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस के निर्देश पर मनपा ने कुदलवाड़ी में हजारों संपत्तियों को बुलडोजर से ध्वस्त कर पूरे क्षेत्र को मैदान में तब्दील कर दिया है।

अब तक 4000 से अधिक संपत्तियां ध्वस्त की जा चुकी हैं, जिससे क्षेत्र की पूरी सामाजिक और आर्थिक संरचना तहस-नहस हो गई है।

जनजीवन प्रभावित, पलायन शुरू

स्थानीय लोगों का कहना है कि 8 से 17 फरवरी तक इलाके को पूरी तरह सील कर दिया गया था, जिसके कारण न तो लोग बाहर जा सके, न ही कोई अंदर आ सका। इस दौरान कई बच्चों की परीक्षाएं छूट गईं, जिससे उनका शैक्षिक नुकसान हुआ।

इस कार्रवाई के कारण अब तक 50,000 से अधिक मजदूर और युवा रोजगार की तलाश में पलायन कर चुके हैं, जबकि संपत्ति मालिक अपनी ध्वस्त हो चुकी इमारतों के मलबे के पास असहाय स्थिति में बैठे नजर आते हैं।

प्रभावितों की मांग

विस्थापित लोगों के पुनर्वास की व्यवस्था की जाए।

छोटे उद्योगों के पुनर्निर्माण के लिए सरकार राहत पैकेज घोषित करे।

बैंकों द्वारा दिए गए ऋणों के भुगतान पर राहत दी जाए।

इस कार्रवाई की निष्पक्ष जांच की जाए।

गौरतलब है कि,कुदलवाड़ी में चल रही इस व्यापक तोड़फोड़ ने हजारों परिवारों को बेघर और लाखों को बेरोजगार बना दिया है। सरकार और प्रशासन इसे अवैध निर्माण हटाने की कार्रवाई बता रहे हैं, लेकिन प्रभावित लोगों का सवाल है कि यदि ये निर्माण अवैध थे, तो वर्षों तक मनपा ने इनसे टैक्स क्यों वसूला? और अगर यह कार्रवाई जरूरी थी, तो बिना पुनर्वास योजना के लाखों लोगों का भविष्य अंधकारमय क्यों कर दिया गया?

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