
मुख्य निर्वाचन अधिकारी से फलक विद्रूपीकरण और मतदाता सूची की अव्यवस्था को लेकर मांग
पुणे. चुनाव आचार संहिता के लागू होने के दौरान प्रशासन द्वारा सार्वजनिक विकास कार्यों से जुड़े फलक पर जनप्रतिनिधियों के नाम ढकने की प्रक्रिया शुरू कर दी जाती है। लेकिन इस प्रक्रिया से शहर के सौंदर्यीकरण पर नकारात्मक प्रभाव पड़ रहा है. जिससे शहर का सौदर्यकरण ख़राब हो रहा है, इसके साथ ही मतदाता सूची में लगातार हो रही गड़बड़ियों को लेकर को बीजेपी के महाराष्ट्र प्रदेश प्रवक्ता संदीप खर्डेकर ने मुख्य निर्वाचन अधिकारी, महाराष्ट्र राज्य से कार्यवाही करने की मांग की है.
चुनावी आचार संहिता के दौरान लोकसभा, विधानसभा और स्थानीय निकाय चुनावों में प्रशासन की ओर से विकास कार्यों से जुड़े फलक पर जनप्रतिनिधियों, उद्घाटनकर्ताओं और अन्य मान्यवरों के नामों को ढकने की प्रक्रिया अपनाई जाती है। हालांकि, कई स्थानों पर कार्यकर्ताओं द्वारा कपड़ा या कागज लगाकर इसे किया जाता है, लेकिन अधिकतर मामलों में प्रशासन फलक पर पेंट कर देता है या चिपकाने वाली पट्टियों का उपयोग करता है, जिससे शहरभर में विद्रूपीकरण नजर आता है। इससे शहर ख़राब नजर आता है। इसलिए, इस तरह से बिलबोर्ड को ढकना पूरी तरह से गलत है और इससे पूरे शहर में अव्यवस्था फैल रही है। मतदाता ऐसे बिलबोर्ड देखकर ही वोट वही देते देंगे और मुझे नहीं लगता कि वे इन बिलबोर्डों से प्रभावित होंगे। हालाँकि, इस तरह से ढके गए नामों पर लगी पट्टियों को प्रशासन द्वारा कभी नहीं हटाया जाता है, जिससे यह विकृति बनी रहती है। इस हमारी मांग है कि इस विषय पर नियमों पर पुनर्विचार किया जाए। यदि ऐसा संभव न हो तो कम से कम चुनाव प्रक्रिया समाप्त होने के बाद बोर्ड को बहाल करने के विकल्प पर भी विचार किया जाये।
स्थानीय नागरिकों का कहना है कि यह विकास कार्य किसके प्रयास से हुआ, यह पहले से ही सभी को ज्ञात होता है। ऐसे में फलक पर नाम ढकने से मतदाता के निर्णय पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता। लेकिन प्रशासन द्वारा ढकी गई पट्टियां चुनाव के बाद भी नहीं हटाई जातीं, जिससे शहर की सुंदरता पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है। नागरिकों ने मांग की है कि यदि इस नियम को हटाना संभव नहीं है, तो कम से कम चुनाव प्रक्रिया समाप्त होने के बाद फलक को पूर्ववत किया जाए।
मतदाता सूची की गड़बड़ियों पर उठे सवाल
सालों से मतदाता सूची में गड़बड़ियों की शिकायत आती रही हैं, लेकिन अब तक इस समस्या का कोई ठोस समाधान नहीं निकला है। नागरिकों का कहना है कि सरकार के पास आधार कार्ड और मृत नागरिकों का पूरा डेटा उपलब्ध है, बावजूद इसके मतदाता सूची को सही करने के लिए लोगों को फॉर्म भरने की जटिल प्रक्रिया से गुजरना पड़ता है। मतदाता सूची को अपडेट करने की प्रक्रिया को सरल और स्वचालित करने की मांग की जा रही है, जिससे मतदाताओं को कम से कम परेशानियों का सामना करना पड़े और स्थानीय चुनावों में मतदाता सूची में अपना नाम ढूंढना आसान हो। इसके अलावा, नागरिकों ने यह भी मांग की है कि चुनावी आचार संहिता के नाम पर चल रहे विकास कार्यों को रोका न जाए और न ही जनता से जुड़ी दैनिक समस्याओं के समाधान में कोई बाधा उत्पन्न हो। जनता को उम्मीद है कि मुख्य चुनाव अधिकारी इस विषय पर सकारात्मक निर्णय लेंगे और चुनाव प्रक्रिया को अधिक पारदर्शी और प्रभावी बनाने के लिए उचित कदम उठाए जाएंगे।