महानगरपालिका चुनाव पर सुप्रीम कोर्ट में दायर याचिका पर अब 6 मई को सुनवाई

पुणे.महानगरपालिका चुनाव पर सुप्रीम कोर्ट में दायर याचिका पर अब 6 मई को सुनवाई होगी।इसके चलते राज्य में रुके हुए महानगरपालिका चुनाव फिर से टल गए हैं, जिससे उम्मीदवारों की उम्मीदों को झटका लगा है। महाराष्ट्र में मुंबई, पुणे, पिंपरी-चिंचवड़ सहित कुल 23 महानगरपालिकाओं पर प्रशासनिक शासन लागू है, क्योंकि चुनाव नहीं हो पा रहे हैं।
57 याचिकाएं सुप्रीम कोर्ट में लंबित
प्रभाग (वार्ड) संरचना, जनसंख्या में 10% वृद्धि के अनुसार सदस्य संख्या निर्धारित करने और ओबीसी आरक्षण को लेकर सुप्रीम कोर्ट में कुल 57 अलग-अलग याचिकाएं दायर हैं। इन पर एक साथ सुनवाई 22 जनवरी को होनी थी, लेकिन 28 जनवरी को भी सुनवाई नहीं हुई। 25 फरवरी को भी सुनवाई टल गई थी। आखिरकार, 4 मार्च को इस मामले में सुनवाई हुई।
चुनाव प्रक्रिया में मतभेद
सुनवाई के दौरान, दोनों पक्ष चुनाव कराने के पक्ष में थे, लेकिन ओबीसी के 27% आरक्षण का मुद्दा हल हुआ है या नहीं, इस पर विवाद बना रहा। साथ ही, चुनाव पुराने वार्ड सिस्टम से होने चाहिए या नए सिस्टम से—इस पर सरकार और 23 याचिकाकर्ताओं में मतभेद था। सुप्रीम कोर्ट ने इस पर सुनवाई आगे बढ़ा दी। 9 से 16 मार्च तक होली की छुट्टी होने के कारण अब अगली सुनवाई 6 मई को होने की संभावना है।
वार्ड संरचना का मुद्दा
महाविकास आघाड़ी सरकार के दौरान मुंबई को छोड़कर अन्य महानगरपालिकाओं में 3-सदस्यीय वार्ड संरचना बनाई गई थी और उसी के अनुसार आरक्षण तय किया गया था। लेकिन महायुति सरकार के सत्ता में आने के बाद इसे बदलकर फिर से 4-सदस्यीय वार्ड संरचना कर दी गई। अब यह फिर से नए सिरे से करनी होगी।
पुणे महानगरपालिका के लिए अलग समस्या
2017 के बाद पुणे महानगरपालिका में 32 नए गांव जोड़े गए हैं, जिससे वार्ड पुनर्गठन आवश्यक हो गया है। नई वार्ड संरचना तय करने, आपत्तियां मंगाने और अंतिम रूप देने में कम से कम 90 दिन लगेंगे। इसलिए, संभावना है कि ये चुनाव सीधे सितंबर-अक्टूबर में ही हो सकेंगे।
उम्मीदवारों की उम्मीदों पर फिर पानी फिरा
महानगरपालिका चुनाव की तैयारी में जुटे सभी दलों के उम्मीदवारों ने कोल्हापुर, तुलजापुर, पंढरपुर, बालाजी, शिर्डी और उज्जैन में दर्शन यात्राएं आयोजित की थीं। कई उम्मीदवारों ने हल्दी-कुंकू कार्यक्रमों के जरिए लाखों रुपये के उपहार भी बांटे थे। लेकिन अब चुनाव फिर टल गए हैं, जिससे उनके खर्च और उम्मीदों पर पानी फिर गया है।