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मुंढवा जत्रा में शुरू हुई महिला कुश्ती की परंपरा!

सौ. गौरी बेनकर-पिंगले की पहल से रचा गया इतिहास

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पुणे: कभी मेलों में कुश्ती देखने पर भी महिलाओं को रोक दिया जाता था, लेकिन इस बार अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस के अवसर पर मुंढवा गांव ने इतिहास रच दिया। महिलाओं के सशक्तिकरण की नई इबारत लिखते हुए, पहली बार मुंढवा गांव के अखाड़े में महिला कुश्ती का आयोजन किया गया। इस ऐतिहासिक पहल को सफल बनाने में स्थानीय सामाजिक कार्यकर्ता सौ. गौरी पिंगळे ने अहम भूमिका निभाई। उनके प्रयासों के चलते मुंढवा के इतिहास में पहली बार महिला कुश्ती आयोजित की गई। खास बात यह रही कि इस वर्ष मुंढवा जत्रा (मेला) 8 मार्च को होने के कारण महिला सशक्तिकरण की यह मिसाल कायम हो सकी।

इस रोमांचक कुश्ती मुकाबले में राष्ट्रीय विजेता सोनाली मंडलिक और संजना दिसले आमने-सामने थीं, जिसमें सोनाली मंडलिक ने शानदार जीत दर्ज की। इस ऐतिहासिक आयोजन के लिए गौरी अक्षय पिंगळे की पहल महत्वपूर्ण रही। उन्होंने अपने ससुर स्व. प्रताप पांडुरंग पिंगळे की स्मृति में विजेता महिला पहलवान को ₹51,000 नकद पुरस्कार और मानचिन्ह देकर सम्मानित किया। उनकी इस प्रेरणादायी पहल से प्रभावित होकर गांव के लोगों ने घोषणा की कि अब से हर वर्ष महिला कुश्ती प्रतियोगिता का आयोजन किया जाएगा।

इस अवसर पर गौरी पिंगळे ने कहा,
“महिलाओं के सशक्तिकरण और सुरक्षा के लिए उन्हें बचपन से ही अखाड़े की लाल मिट्टी में तैयार करना चाहिए। हर माता-पिता को अपनी बेटियों को आत्मरक्षा की शिक्षा देनी चाहिए, तभी महिलाओं के खिलाफ हो रहे अत्याचारों को रोका जा सकता है।”

यह कुश्ती महाकाल तालीम के मोरे उस्ताद के मार्गदर्शन में संपन्न हुई। पंच की भूमिका संदीप वांजळे ने निभाई। इस ऐतिहासिक आयोजन के दौरान मुंढवा गांव के प्रतिष्ठित नागरिक और बड़ी संख्या में ग्रामवासी उपस्थित रहे। गौरी पिंगळे की पहल से मुंढवा में महिला कुश्ती की नई परंपरा की शुरुआत हुई, जिससे महिलाओं को अपनी प्रतिभा दिखाने का एक नया मंच मिला है।

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