महावितरण के प्रतीक वाईकर खो-खो विश्वकप विजेता भारतीय टीम के कप्तान बने

पुणे, : महावितरण के पुणे परिमंडल के पर्वती विभाग में कार्यरत प्रतीक वाईकर के नेतृत्व में भारतीय खो-खो टीम ने पहले विश्वकप का खिताब अपने नाम किया है। इस विश्व प्रतियोगिता में 20 देशों की टीमें शामिल थीं, जिसमें भारतीय टीम ने शानदार प्रदर्शन करते हुए जीत हासिल की। टीम के कप्तान और बेहतरीन खिलाड़ी के रूप में प्रतीक वाईकर की अहम भूमिका रही, जिनकी पूरे देश में सराहना हो रही है।
महावितरण के कर्मचारी के रूप में विश्वकप विजेता टीम की अगुवाई करने वाले प्रतीक वाईकर को महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस, ऊर्जा मंत्री, ऊर्जा विभाग की अपर मुख्य सचिव आभा शुक्ला, महावितरण के अध्यक्ष एवं प्रबंध निदेशक लोकेश चंद्र, संचालन एवं मानव संसाधन निदेशक अरविंद भादिकर, पुणे क्षेत्रीय निदेशक भुजंग खंदारे और पुणे परिमंडल के मुख्य अभियंता राजेंद्र पवार ने बधाई दी है।
प्रतीक वाईकर ने खेल कोटे के तहत 19 जून 2012 को महावितरण में नौकरी जॉइन की थी। 27 मार्च 1992 को जन्मे प्रतीक ने वर्ष 2000 के आसपास बास्केटबॉल, लंगड़ी और गोल खो-खो खेलना शुरू किया। उनकी खो-खो में असाधारण फुर्ती और प्रतिभा को देखते हुए पुणे के प्रतिष्ठित नवमहाराष्ट्र क्लब में प्रवेश मिला। इसके बाद उन्होंने एक बेहतरीन खो-खो खिलाड़ी के रूप में अपनी पहचान बनाई। कंप्यूटर साइंस में बीएससी करने के बाद प्रतीक ने फाइनेंस में एमबीए भी किया, जिससे उन्होंने खेल और शिक्षा, दोनों में संतुलन बनाए रखा। उनके परिवार ने भी खो-खो में करियर बनाने के लिए उन्हें पूरा समर्थन दिया।
महाराष्ट्र सरकार के प्रतिष्ठित ‘श्री शिवछत्रपति खेल पुरस्कार’ से सम्मानित प्रतीक वाईकर ने राज्य की 14 वर्ष, 16 वर्ष, 18 वर्ष और सीनियर टीम का नेतृत्व किया है। यह उपलब्धि हासिल करने वाले वे अकेले खिलाड़ी हैं। मिट्टी से मैट तक की यात्रा में कई बार चोटिल होने के बावजूद, उन्होंने अपने कौशल, फुर्ती और फिटनेस पर ध्यान केंद्रित किया। उन्होंने खो-खो प्रोफेशनल लीग में ‘तेलुगु योद्धाज’ टीम का नेतृत्व करते हुए उपविजेता बनने का गौरव हासिल किया।
खो-खो में ‘कैप्टन कूल’ के नाम से प्रसिद्ध प्रतीक टीम वर्क को हमेशा प्राथमिकता देते हैं। उनके नेतृत्व में महावितरण के पुणे परिमंडल में कई प्रतिभाशाली खो-खो खिलाड़ी तैयार हो रहे हैं। महावितरण की ओर से प्रतीक को हमेशा पूर्ण सहयोग दिया गया, जिसमें उनकी सुविधा के लिए घर, खेल मैदान और कार्यालय को केवल दो किलोमीटर के दायरे में रखा गया।
पुणे परिमंडल के मुख्य अभियंता राजेंद्र पवार ने कहा, “महावितरण में प्रतीक वाईकर को हमेशा एक खिलाड़ी के रूप में देखा गया और उन्हें सभी आवश्यक सुविधाएं प्रदान की गईं। उनके काम में कभी कोई बाधा न आए, इसका विशेष ध्यान रखा गया, और इसका परिणाम आज देश के लिए गौरव की बात है।”