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हास्य योग से जीवन को खुशहाल बनाएं: उल्हास पवार

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विठ्ठल काटे को सृजन-कोहिनूर गौरव पुरस्कार से सम्मानित किया गया

पुणे: आज की भागदौड़ भरी जिंदगी में अधिकतर लोग चिंताग्रस्त और तनावपूर्ण जीवन जी रहे हैं। ऐसे समय में हास्य और योग के माध्यम से समाज को निरोगी और खुशहाल बनाने में विठ्ठल काटे का योगदान सराहनीय है। वरिष्ठ विचारक उल्हास पवार ने यह बात व्यक्त की। उन्होंने कहा कि तकनीकी युग में जीते हुए भी हमें यंत्रों पर पूरी तरह निर्भर नहीं होना चाहिए। समाज को हंसाने, एकजुट करने और संवाद स्थापित करने की आवश्यकता है। हास्य योग के माध्यम से जीवन का आनंद लेना बेहद जरूरी है।

सृजन फाउंडेशन और कोहिनूर ग्रुप द्वारा आयोजित सम्मान समारोह
सृजन फाउंडेशन द्वारा आयोजित सृजन महोत्सव के अंतिम दिन (15 जनवरी) सृजन-कोहिनूर गौरव पुरस्कार से नवचैतन्य हास्य योग परिवार के संस्थापक-अध्यक्ष विठ्ठल काटे को सम्मानित किया गया। यह पुरस्कार वरिष्ठ वक्ता उल्हास पवार के हाथों प्रदान किया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता प्रख्यात उद्यमी कृष्णकुमार गोयल ने की। इस अवसर पर सृजन फाउंडेशन के अध्यक्ष अधीश प्रकाश पायगुडे, उपाध्यक्ष पोपटलाल शिंगवी, और सुमन काटे मंच पर उपस्थित रहे।

पुरस्कार में शॉल, पुष्पगुच्छ, स्मृति चिह्न, और 21,000 रुपये की नकद राशि दी गई।

विठ्ठल काटे के कार्य की सराहना
उल्हास पवार ने कहा कि विठ्ठल काटे ने हास्य योग के माध्यम से न केवल पुणे बल्कि देश-विदेश में लोगों को हंसाने का कार्य किया है। उन्होंने मजाकिया अंदाज में कहा, “पुणे का व्यक्ति अक्सर चिंताग्रस्त दिखाई देता है, जैसे पूरी दुनिया का बोझ उसी पर है।” उनके इस कटाक्ष पर पूरा सभागार ठहाकों से गूंज उठा।

अध्यक्षीय भाषण में कृष्णकुमार गोयल ने की पद्म पुरस्कार की मांग
कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए कृष्णकुमार गोयल ने कहा, “विठ्ठल काटे ने पिछले 27 वर्षों से हास्य योग के जरिए लाखों लोगों को जीवन में खुशी दी है। वरिष्ठ नागरिकों के बीच दोस्ती और सकारात्मकता का माहौल बनाने के उनके प्रयास सराहनीय हैं। उनके कार्य को देखते हुए उन्हें पद्म पुरस्कार से सम्मानित किया जाना चाहिए।”

स्वच्छ और खुशहाल पुणे का सपना: विठ्ठल काटे
सम्मान के जवाब में विठ्ठल काटे ने कहा, “यह पुरस्कार मेरा नहीं, बल्कि नवचैतन्य हास्य योग परिवार और इसके सदस्यों का है। हमारा उद्देश्य स्वच्छ और खुशहाल पुणे बनाना है। हास्य योग के जरिए हम लोगों को मानसिक और शारीरिक रूप से स्वस्थ और सशक्त बनाना चाहते हैं।”

कार्यक्रम का संचालन प्रचिती गुर्जर ने किया और आभार प्रदर्शन पोपटलाल शिंगवी ने किया। डॉ. अनघा जोशी द्वारा प्रस्तुत ‘पसायदान’ के साथ कार्यक्रम का समापन हुआ।

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