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सूर्यदत्त एजुकेशन फाउंडेशन की 26वीं वर्षगांठ पर ‘सूर्योत्सव’ का आयोजन: प्रो. डॉ. संजय बी. चोरडिया

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‘विकसित भारत’ के लिए छात्रों का समग्र विकास जरूरी
प्रो. डॉ. संजय बी. चोरडिया का विचार; वर्षगांठ के अवसर पर ‘सूर्यदत्त’ द्वारा एक माह का ‘सूर्योत्सव’
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ओजस्वी, तेजस्वी और तपस्वी भारतीय संस्कृति और
परंपरा से नई पीढ़ी को परिचित कराने की पहल
‘सूर्यदत्त’ की 26वीं वर्षगांठ पर ‘सूर्योत्सव’ का आयोजन; प्रो. डॉ. संजय बी. चोरडिया ने दी जानकारी

पुणे: “छात्रों के समग्र विकास पर ध्यान देते हुए नई पीढ़ी को हमारी ओजस्वी, तेजस्वी और तपस्वी भारतीय संस्कृति, परंपरा और ऐतिहासिक धरोहर से परिचित कराना चाहिए। इसी उद्देश्य को ध्यान में रखते हुए सूर्यदत्त एजुकेशन फाउंडेशन ने अपनी 26वीं वर्षगांठ पर पहली बार पूरे महीने चलनेवाले ‘सूर्योत्सव’ कार्यक्रम का आयोजन किया है। इसके तहत छात्रों, शिक्षकों और अभिभावकों के लिए विभिन्न गतिविधियों का आयोजन किया जा रहा है। ‘विकसित भारत’ का निर्माण करने के लिए नई पीढ़ी को कैसे योगदान देना चाहिए, इस पर विचार-विमर्श किया जा रहा है,” ऐसा प्रतिपादन सूर्यदत्त एजुकेशन फाउंडेशन के संस्थापक अध्यक्ष प्रो. डॉ. संजय बी. चोरडिया ने प्रेस वार्ता में किया।

‘सूर्योत्सव 2025’ के इस विशेष महोत्सव के अवसर पर प्रो. डॉ. चोरडिया ने बुधवार को प्रेस से संवाद किया। होटल श्रेयस में आयोजित इस प्रेस वार्ता में निदेशक प्रशांत पितालिया, सूर्यदत्त विधि महाविद्यालय की प्राचार्य केतकी बापट सहित अन्य लोग उपस्थित थे।

प्रो. डॉ. संजय बी. चोरडिया ने कहा, “विकसित भारत के सपने को साकार करने के लिए हमें प्रयासरत रहना चाहिए। छात्रों को विभिन्न क्षेत्रों में ज्ञानवर्धन करना चाहिए। ऐतिहासिक स्थलों का निर्माण कैसे हुआ, किस तकनीक का उपयोग किया गया, एनडीए और रक्षा सेवाओं में करियर की क्या संभावनाएं हैं, इन विषयों पर छात्रों को जानकारी दी जा रही है। विशेषज्ञों के मार्गदर्शन से छात्र ज्ञान प्राप्त कर रहे हैं और समृद्ध हो रहे हैं। संस्थान की स्थापना से ही छात्रों के समग्र विकास पर सूर्यदत्त ने विशेष जोर दिया है। इस साल सूर्यदत्त ने 26 साल पूरे किए हैं। शिक्षकों को सिर्फ कक्षा तक सीमित शिक्षा न देकर छात्रों को वास्तविक ज्ञान भी देना चाहिए। बदलते समय में भारतीय संस्कृति को संरक्षित रखना जरूरी है। विशेषज्ञों के विचार छात्रों तक पहुंचाने के लिए व्याख्यान आयोजित किए जा रहे हैं। ग्रामीण क्षेत्रों में जिन छात्राओं को स्कूल जाने में कठिनाई होती है, उनके लिए साइकिल वितरण अभियान चलाया जा रहा है। छात्रों को मानसिक और शारीरिक रूप से मजबूत बनाने के लिए योग, प्राणायाम, ध्यान और कराटे का प्रशिक्षण दिया जा रहा है। स्टार्टअप को भी स्कूली जीवन से बढ़ावा देने की आवश्यकता है, उसीको ध्यान में लेकर सूर्यदत्त संस्थान काम कर रहा है.”

“पुणे में कई संस्थाएं केवल 8-10 घंटे काम करती हैं। बाकी समय उनकी बुनियादी सुविधाएं खाली रहती हैं। इनका उपयोग उभरते उद्यमियों, वरिष्ठ नागरिकों और स्टार्टअप शुरू करने वालों को करना चाहिए। अंतर्विद्याशाखीय शिक्षा लेने की इच्छा रखनेवाले छात्रों को प्रोत्साहित करना चाहिए. स्वास्थ्य जागरूकता के लिए छात्रों के साथ खुली चर्चा की जाती है। आज के समय में संयुक्त परिवार व्यवस्था समाप्त हो रही है। इस वजह से वृद्धाश्रम बढ़ रहे हैं। सेवाश्रम की भावना वृद्ध लोगो की सेवा करनी चाहिए. वृद्ध लोगों को बोझ समझने की सोच बदलने के लिए भारतीय संस्कृति और पारिवारिक मूल्यों का विकास छात्रों में किया जाना चाहिए,” ऐसा प्रो. डॉ. संजय बी. चोरडिया

निदेशक प्रशांत पितालिया ने कहा कि सूर्यदत्ता छात्रों को परिपूर्ण, स्वावलंबी और परिवर्तनशील बनाने का कार्य कर रहा है। वहीं, प्राचार्य केतकी बापट ने बताया कि संस्थान में समग्र विकास के लिए आयोजित कार्यक्रमों से यहां के छात्र अलग पहचान बनाते हैं।

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